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हिन्दी दिवस प्रतियोगिता भाग 13( दहेज का डर ) लेखनी कहानी -01-Sep-2022



   शीर्षक  :- दहेज का डर सता रहा है।
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जबसे घर में बेटी का जन्म हुआ।
हर कोई उस घर में है  डरा हुआ।।
सबको बस एक ही डर है सता रहा।
दहेज के डर से हर कोई मरा जा रहा।।
बेटी नहीं घर में एक आफत आई है।
यह दहेज का राक्षस साथ लाई है।।
अब से जो भी धन तुम कमाओगे।
बेटी के दहेज में ही सब लगाओगे।।
जब भी इसकी शादी की बात करोगे।
उसके बापू से दहेज की बात करोगे।।
इससे बेटी सबको लगती बहुत भारी ।
बेटी पैदा होते ही भूल गये  साहूकारी।।
अब सब मिलकर एक कसम खाते है।
ना दहेज लेंगे ना देंगे यह कसम खाते हैं।।

हिन्दी दिवस प्रतियोगिता हेतु रचना।
नरेश शर्मा  " पचौरी "





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8 Comments

कसम खाते हैं,,, not है

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बहुत ही सुंदर सृजन,,,, सीख देती हुई कविता है

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Achha likha hai 💐

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